फाइटोन्यूट्रिएंट के प्रकार (विस्तृत जानकारी )

फाइटोन्यूट्रिएंट के प्रकार (विस्तृत जानकारी) 

Types Of Phytonutrients (Detailed Information)

Types Of Phytonutrients

 

कैरोटीनॉयड (Carotenoid)

ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन

लाइकोपिन

बीटा-कैरोटीन

कैरोटीनॉयड

कैरोटीनॉयड फाइटोन्यूट्रिएंट् का एक समूह है जो कई फलों और सब्जियों के, चमकीले रंग के लिए जिम्मेदार होता है। वे पीले, नारंगी और लाल रंग-द्रव्य हैं जो गाजर, शकरकंद, टमाटर और कद्दू में उच्च सांद्रता में पाए जाते हैं। कैरोटीनॉयड अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है, जो शरीर को मुक्त कणों (free radicals) से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करता है। ये त्वचा और रोग प्रतिरोधक क्षमता को सहायता प्रदान करते हैं । ऐसा माना जाता है कि इनमें सूजन-रोधी गुण होते है और ये कैंसर और हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करने में भूमिका निभा सकते हैं। कुछ सबसे आम कैरोटीनॉयड में बीटा-कैरोटीन, लाइकोपिन और ल्यूटिन शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर बीटा-कैरोटीन जो कि मुख्यतः गाजर, आलू और पालक में पाया जाता है । यदि शरीर बीटा-कैरोटीन को ग्रहण करता है तो उसे विटामिन ए में बदल देता है । दूसरे प्रकार का उदाहरण हैं :

ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन Lutein, Zeaxanthinल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे की जैविक पालक और गोभी में पाया जाता है। यह आंखों की अच्छी सेहत बनाता है तथा ‘उम्र से संबंधित मैक्यूलर डिजनरेशन’ (Age-related Macular Degeneration(AMD) से बचाव करता । अर्थात चकत्तेदार अंध: पतन को रोकने का काम करता है AMD क्या है इसे विस्तार में जानने के लिए इस लिंक पर जाएं

https://www.nei.nih.gov/learn-about-eye-health/eye-conditions-and-diseases/age-related-macular-degeneration

सारांश में यदि कहा जाए तो AMD एक प्रकार का ऐसा रोग है जो की आँख के मैकुला को प्रभावित करता है । मैकुला आंख के बीच के हिस्से को कहा जाता है और इससे जुड़ी हुई कोशिकाएं जो की रेटिना को पोषण देती हैं, वह कोशिकाएं नष्ट या क्षतिग्रस्त होने लगती है । ल्यूटिन इन क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को रिपेयर करने का काम बेहतर तरीके से करता है। मैकुलर डिजनरेशन से पीड़ित व्यक्ति की दृष्टि धुंधली हो जाती है। ल्यूटिन आम तौर पर हरी पत्तेदार सब्जियां तथा नारंगी और पीले रंग के फल, सब्जियों में पाया जाता है । केएल (Kale) यह ल्यूटिन का सबसे बेहतर स्रोत है जिसे कि चित्र में दिखाया गया है ।

हरी पत्तेदार सब्जी जिसे कि केएल (Kale) के नाम से जाना जाता है, इसमे ल्यूटिन सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जाता है । जैविक पालक, सरसों के पत्ते, ब्रोकली, मटर और तोरी में पाया जाता है । लेकिन, ल्यूटिन कि हमें कितनी मात्रा हर रोज लेनी है, इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए, यदि आप चाहें तो वेबसाइट के संस्थापक की टीम को निजी तौर पे ई-मेल (nutritionkguru@gmail.com) कर के संपर्क कर सकते हैं। फलों में यदि देखा जाए तो एवोकाडो, संतरा, कीवी, अंगूर, कद्दू और पपीते में भी ल्यूटिन काफी अच्छी मात्रा में मिलता है ।

लाइकोपिन Lycopene। यह फलों या सब्जियों में उनके रंग के लिए जिम्मेदार है । अर्थात, उदाहरण के तौर पर यह टमाटर, गुलाबी अंगूर, तरबूज और लाल रंग के फलों तथा सब्जियों में पाया जाता है । फलों तथा सब्जियों का लाल रंग लाइकोपिन के कारण होता है । लाइकोपिन भी एक शक्तिशाली फाइटोन्यूट्रिएंट् है जो कि एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है । यह आंखों की रेटिना की मरम्मत करने का काम करता है तथा प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम में भी मददगार है और हमारे हृदय को भी फायदा पहुंचता है । यह फ्री रेडिकल के आक्रमण से बचाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह लाइकोपिन मिलता कहां से है और इसे कैसे प्राप्त किया जाए । तो यह मुख्यतः टमाटर में पाया जाता है ।

टमाटर का लाल रंग लाइकोपिन के कारण ही होता है । यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो कि शरीर की कई तरह से मदद करता है और शरीर के वाइटल (जीवन रक्षक) अंगों को बचाने का काम करता है । यह दोनों श्रेणियां में आता है मतलब कि यह फाइटोन्यूट्रिएंट् भी है और एंटीऑक्सीडेंट का भी काम करता है ।

बीटा-कैरोटीन Beta Carotene हालांकि यह भी एक फाइटोन्यूट्रिएंट् है लेकिन यह एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है । यह टमाटर, गाजर, कद्दू में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि बीटा-कैरोटीन करता क्या है । बीटा-कैरोटीन वह तत्व है जो कि, जब शरीर में जाता है तो, शरीर इसको विटामिन-ए में बदल देता है । यह आंखों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। आंखों की आंतरिक किसी भी प्रकार की क्षति या रेटिना की मरम्मत के लिए यह काम में आता है । बीटा-कैरोटीन न केवल आंखों की रक्षा करता है, अपितु यह हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यून सिस्टम और त्वचा की अच्छी सेहत के लिए भी लाभदायक है । बीटा-कैरोटीन मुख्यता पीली, हरी और नारंगी रंग की सब्जियों या फलों में से प्राप्त होते हैं । तो हम बात कर रहे थे बीटा-कैरोटीन विटामिन ए की उच्चतम मात्रा को प्रदान करता है । कैरोटीन पूर्ण रूप से हाइड्रोकार्बन है, जो की फ्री रेडिकल्स या मुक्त कण के ऑक्सीजन अणु के इलेक्ट्रॉन की कमी को पूरा करके उसको निष्क्रिय कर देते हैं ।

 

पॉलीफिनोल (Polyphenol)

पॉलीफिनोल एक प्रकार के प्राकृतिक फाइटोन्यूट्रिएंट् का बड़ा समूह है, जिसमें की कई अन्य फाइटोन्यूट्रिएंट् पाए जाते हैं । जिनके बारे में हमने, नीचे विस्तार से बताया है । यह कई तरह के फल और सब्जियों से मिलते हैं, जो कि मानव शरीर की अच्छी सेहत के लिए लाभदायक है । यह एक जबरदस्त एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं और फ्री रेडिकल्स के अटैक को निष्क्रिय करने का काम करते हैं । फाइटोन्यूट्रिएंट् हमारे रोजमर्रा के इस्तेमाल किए जाने वाले खाने में से मिलता है, जिसमें कि जामुन, सेब, डार्क चॉकलेट, रेड-वाइन, एवं ग्रीन टी हैं । यह पौधों को ना ही केवल रंग देते हैं बल्कि उनको हानिकारक पराबैंगनी विकिरण (UV radiation) से भी बचाते हैं । और ये वही काम हमारे शरीर में भी यह करते हैं कि यह हमें अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से भी बचते हैं और शरीर में होने वाली सूजन की बीमारी तथा हार्ट के रोगों से और कैंसर की रोकथाम करने में लाभदायक है । पॉलीफिनोल के विभिन्न प्रकार इस तरह है:-

फेनोलिक एसिड (Phenolic Acid)

रेस्वेराट्रोल (Resveratrol)

एललगिक एसिड (Ellagic Acid)

करक्यूमिन Curcumin

लिग्नान (Lignans)

टैनिन (Tannins)

फेनोलिक एसिड । यह मूलतः पॉलीफिनोल के बड़े समूह का एक छोटा सदस्य है । फेनोलिक एसिड सूखे मेवे (Dry Fruits) और मशरूम तथा घोड़ा घास में पाया जाता है । यह बारले तथा गेहूं में भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । इसमें एक विशेष प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट गुण है जो कि शरीर में, तनाव के कारण हुई सूजन को कम करता है तथा हृदय रोग के खतरे को कम करता है । फेनोलिक एसिड के बेहतर स्रोत, स्ट्रॉबेरी, सेब, जामुन, कॉफी, जैतून का तेल (Olive Oil), संपूर्ण अनाज और चाय हैं । फेनोलिक एसिड में कैफिक एसिड, फेरुलिक एसिड और गैलिक एसिड भी शामिल हैं।

रेस्वेराट्रोल । एक प्राकृतिक फाइटोन्यूट्रिएंट् है जो की एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है और यह मूंगफली, अंगूर, जामुन में पाया जाता है । यह तीन तरह से मनुष्य को फायदा करता है । पहला एंटी-एजिंग उत्पाद के रूप में दूसरा हृदय रोग संबंधी और तीसरा मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त सेल्स को ठीक करने में । रेस्वेराट्रोल, फ्री रेडिकल से हार्ट को बचाते हैं और हृदय रोगों से उसकी रक्षा करता है । यह नसों में लो डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल (LDL)) की मात्रा को कम करके और HDL (हाई डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल) की मात्रा को बढ़ाकर, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का भी काम करता है । यह त्वचा में सेल्यूलर लेवल पर जाकर सेल्स के डैमेज को ठीक करके एंटी एजिंग की प्रक्रिया को बनाता है । यह त्वचा को रिंकल फ्री बनाकर उसकी लचीलेपन को बढ़ाता है ।

एललगिक एसिड । एक पॉलीफिनोल ग्रुप का फाइटोन्यूट्रिएंट है जो कि एंटीऑक्सीडेंट कि तरह काम करता है। यह स्ट्रॉबेरी, शहतूत में और अनार में पाया जाता है । यह फ्री-रेडिकल् को कम करता है और कीमोथेरेपी के दौरान पैदा होने वाले कैंसर सेल्स की ग्रोथ को कम करने में मदद करता है । यह डीएनए सेल (DNA Cell) को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद करता है । इसके कीमोथेरेपी के समय जबरदस्त असर के कारण FDA (U.S. Food and Drug Administration) ने इसका दवाइयां के रूप में बिना शोध के इस्तेमाल किए जाने पर चेतावनी दी है । अतः किसी भी व्यक्ति को इसे लेने से पहले एक कुशल चिकित्सक की सलाह की आवश्यकता है ।

https://www.acs.org/molecule-of-the-week/archive/e/ellagic-acid.html?utm_source=perplexity

 करक्यूमिन । Curcumin फाइटोन्यूट्रिएंट्/ एंटीऑक्सीडेंट, जो की हल्दी में पाया जाता है और यह अपने कई विशेष प्रकार के गुणों के कारण फायदेमंद है । यह एंटी-कैंसर है , मस्तिष्क के सेल को हानि से बचाने का काम करता है , हृदय रोगों से बचाता है, पाचन तंत्र को बेहतर तथा रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और सुजन-रोधी बीमारियों में काम आता है । काली मिर्च के साथ इसे इस्तेमाल करने पर इसका परिणाम लगभग दो हजार गुना बढ़ जाता है । किसी भी लाइफस्टाइल बीमारी (जैसे मधुमेह, हृदय रोग,  कैंसर, मोटापा, अल्जाइमर, अर्थराइटिस या गठिया) से ग्रसित व्यक्ति या डायरिया, एलर्जिक रिएक्शन या गैस्ट्रो की प्रॉब्लम वाले व्यक्ति को इसे लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेनी आवश्यक है । करक्यूमिन, हल्दी में पाया जाता है अतः इसे अधिकतम एक या दो छोटे चम्मच (टी-स्पून) से ज्यादा नहीं लेना चाहिए ।

लिग्नान । Lignan एक ऐसा फाइटोन्यूट्रिएंट् है जो कि पौधों से प्राप्त होता है, इसमें सुजन रोधी गुण तथा एंटीऑक्सीडेंट की विशेषताएं पाई जाती है । इसमें एक चमत्कारी विशेषता है जो कि इसे बहुत खास बनाती है और वह यह है कि, यह एस्ट्रोजन Estrogen की भांति व्यवहार करता है । लिग्नान मूलतः क्रूसिफेरस cruciferous फैमिली अर्थात गोभी परिवार की सब्जियों में पाया जाता है ब्रोकली, गोभी, बंद गोभी, केएल (Kale), सरसों, ब्रसल-स्प्राउट्स आदि । गोभी परिवार की सब्जियों के अलावा यह सोयाबीन, पटसन के बीज (Flax Seed) में बहुतायत में पाया जाता है। यह हारमोंस को संतुलित करने में बहुत मददगार है । यदि किसी व्यक्ति के शरीर में हारमोंस असंतुलित हो गए हैं तो लिग्नान, हारमोंस को बैलेंस करने में मदद करता है। विशेषतः स्त्रियों में एस्ट्रोजन एक महत्वपूर्ण हार्मोन की तरह काम करता है । यदि किसी महिला के एस्ट्रोजन लेवल बिगड़े हुए हैं तो लिग्नान एक अच्छा क्षति पूरक के रूप में काम करता है । इसके अलावा यह कैंसर तथा हार्ट संबंधी रोगों में मददगार है । यह सुझाव दिया जाता है कि इसे, यह अप्राकृतिक रूप से ना लिया जाए इसके प्राकृतिक स्रोत द्वारा ही इसे यदि ग्रहण किया जाता है तो इसके विशेष लाभ होते हैं । Flax Seed में यह 85 मिलीग्राम प्रति, एक औंस में पाया जाता है (1 औंस = 28.3495 ग्राम लगभग )।

टैनिन । Tannin एक ऐसा फाइटोन्यूट्रिएंट् है जो कि अपने बिट्टर या तेज सनसनाहट भरे खट्टे स्वाद के लिए जाना जाता है, जिसे कि Astringent एस्ट्ट्रीजेनट स्वाद के नाम से भी जाना जाता है । टैनिन एंटी-वायरस और एंटी-माइक्रोबॉयल के रूप में भी जाना जाता है । एंटी-माइक्रोबॉयल एक विशेष गुण है जो की शरीर में आने वाले वायरस, बैक्टीरिया या फंगस या प्रोटोजोआ की होने वाली वृद्धि को खत्म करता है और समाप्त करने का काम करता है । यह बैक्टीरिया तथा फंगस और वायरस से लड़ने में तथा उनके असर को कम करने में मददगार सिद्ध होता है । इसकी यह खास विशेषता पौधों में पाई जाती है, जो की पौधों में होने वाले इन्फेक्शन को रोक देती है । टैनिंग एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है जो की प्रोटीन तथा मिनरल्स को बांध के रखना में सक्षम है । इसकी उचित मात्रा लेने पर यह निश्चित करता है कि शरीर में आए हुए प्रोटीन तथा मिनरल्स पूर्णतया शरीर द्वारा उपयोग कर लिए जाए । लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा मिनरल्स तथा प्रोटीन के अवशोषण में रुकावट खड़ी कर सकती है । इनका मुख्य स्रोत क्रैनबेरी, जामुन, अंगूर, रेड वाइन, काली या हरी चाय तथा कोको और डार्क चॉकलेट है । यह शरीर के डिफेंस सिस्टम की भांति कार्य करता है ।

 

फ्लेवोनोइड्स

क्वेरसेटिन   

कैटेचिन           

एंथोसायनिन 

फ्लेवोनोइड्स : फ्लेवोनोइड्स फाइटोन्यूट्रिएंट् का एक समूह है जो फलों, सब्जियों और चाय में उच्च सांद्रता में पाए जाते हैं। वे कई फलों और सब्जियों के जीवंत रंगों के लिए ज़िम्मेदार हैं, और माना जाता है कि वे कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। फ्लेवोनोइड्स अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाने जाते हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। ऐसा माना जाता है कि उनमें सूजन-रोधी गुण होते हैं और वे कैंसर और हृदय रोग जैसी बीमारियों से होने वाले खतरे को कम करने में भूमिका निभा सकते हैं।

कुछ सबसे आम फ्लेवोनोइड्स में क्वेरसेटिन, केम्पफेरोल और कैटेचिन शामिल हैं।

क्वेरसेटिन Quercetin एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो कि सेब, जामुन और प्याज में पाया जाता है । यह एक इस प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है जो कि शरीर में होने वाली एक विशेष सूजन (Inflammation) की बीमारी को ठीक करता है और दूसरी एंटीहिस्टामिन (antihistamine) को भी ठीक करता है । एंटीहिस्टामिन का अर्थ है, शरीर में किसी प्रकार की एलर्जी की बीमारी, पैदा होती है, उस बीमारी को ठीक करने के विशेष गुण को एंटीहिस्टामिन कहा जाता है । क्वेरसेटिन यह उस कारण को भी खत्म करता है जो कि शरीर में अक्सर हो जाता है जिससे शरीर में विशेष प्रकार की सूजन की बीमारी पैदा होती है। जैसा कि वह सूजन की बीमारी हमारे हृदय से संबन्धित रोगों में ज्यादातर पाई जाती है । क्वेरसेटिन का मुख्य काम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना है और इसमें कैंसर रोधी गुण भी पाया जाता है । यह कई प्रकार के एलर्जी को कम करने भी काम करता है। कई शोधों में यह भी पाया गया है कि यह मस्तिष्क के ब्रेन सेल्स को भी प्रोटेक्ट करता है जो कि किसी कारणवश क्षतिग्रस्त हो चुके होते हैं । ब्रोकली में भी क्वेरसेटिन विशेष रूप में पाया जाता है तथा ग्रीन टी में भी इसकी संभावना होती है ।

कैटेचिन Catechin एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है जो की शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले सेल्यूलर डैमेज अर्थात कोशिका के नुकसान को रोकता है तथा फ्री रेडिकल के आक्रमण को विफल करता है । शोध द्वारा पता चला है कि यह ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी नियंत्रित करता है और हार्ट से संबंधित बीमारियों को भी कम करने में मदद करता है । कैटेचिन में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण अर्थात सुजन-रोधी गुण पाए जाते हैं, जो की अर्थराइटिक़स के मरीजों और हृदय रोगियों के लिए भी फायदेमंद हैं । कैटेचिन विशेष रूप से शरीर का भार को मैनेजमेंट करने में भी कारगर सिद्ध हुआ है । कैटेचिन, एंटीऑक्सीडेंट शहतूत, रसभरी, अमरूद, विशेषतः अमरूद की पत्तियों, काले अंगूर और सेब के छिलके में पाया जाता है ।

एंथोसायनिन Anthocyanin एक विशेष प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है जो कि हृदय रोगों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है । इसका पाये जाने का बेहतर स्रोत अंगूर और लाल शिमला मिर्च है। इसके नियमित सेवन से हमारा लिपिड प्रोफाइल ठीक होना शुरू हो जाता है। जिसमें कि यह हाई-डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है और लो-डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा को कम करता है । इसमें एक विशेष सूजन रोधी गुण पाया जाता है जो कि हमारे दिल की आर्टिलरी के सेल में हुए डैमेज को ठीक करता है और आर्टिलरी में होने वाली सूजन को काम करता है इसमें एक विशेष एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है जो कि हमारे कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम में आने वाले फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय करके कार्डियो-वैस्कुलर सिस्टम को बचाता है

 

आइसोफ्लेवोन

फाइटोन्यूट्रिएंट हैं जो कि पॉलीफिनोल फैमिली के अंतर्गत फ्लेवोनोइड्स आते हैं, और फ्लेवोनोइड्स फैमिली के अंतर्गत आइसोफ्लेवोन आता है । यह एस्ट्रोजन की भांति भी कार्य करते हैं । आइसोफ्लेवोन, सोया प्रोडक्ट्स में बहुतायत में पाया जाता है । आइसोफ्लेवोन क्योंकि हार्मोन की तरह काम करता है अतः यह हार्मोनल असंतुलन में ठीक करने में काफी मददगार है । इसके अलावा एक यह शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और हड्डियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा है । आइसोफ्लेवोन, हड्डियों के भार (Bone Density) को बढ़ाकर उन्हें मजबूत करने में फायदा करता है तथा यह ऑस्टियोपोरोसिस और ओस्टियो-आर्थराइटिस में काफी मददगार है । आइसोफ्लेवोन हार्ट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि यह कोलेस्ट्रॉल को बांध के रखना में सक्षम है और कैंसर से बचाव में भी इसका काफी योगदान है । एस्ट्रोजन की भांति कार्य करने के कारण यह कई प्रकार के हार्मोनल असंतुलन को ठीक करता है, जो की डीएनए की क्षति होने से बचाते हैं और कैंसर को रोकने में मदद कर साबित होते हैं । सोया के अलावा यह टोफू और दूध और genistein में पाया जाता है । सामान्य रूप से आइसोफ्लेवोन शरीर के लिए अच्छे साबित होते हैं । यदि यह सोया के प्राकृतिक स्रोतों द्वारा लिए जाते तो सुरक्षित माने जाते हैं । यदि किसी सप्लीमेंट के रूप में आइसोफ्लेवोन लिए जाते हैं तो यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि वह सुरक्षित हैं या नहीं । इसकी अत्यधिक मात्रा शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है । ऐसे व्यक्ति जो हार्मोनल कैंसर से ग्रसित है, उन्हें आइसोफ्लेवोन लेने से पहले किसी विशेष चिकित्सक की सलाह लेनी आवश्यक है ।

 

सैपोनिन

Saponins, यह एक इस प्रकार का फाइटोन्यूट्रिएंट है जो की हल्के मीठे स्वाद का होता है और इसमें एक साबुन जैसी विशेषता इसमें पाई जाती है । सैपोनिन का मुख्य स्रोत जिन्सेंग, सोयाबीन, ओट्स, घोड़ा-घास, टमाटर और पालक और बैंगन है । जिस प्रकार यह पौधों में डिफेंस सिस्टम का कार्य करता तो ठीक उसी प्रकार यह मनुष्यों के द्वारा ग्रहण करने पर उसमें भी रूप प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है ।

यह कोलेस्ट्रॉल को बांधकर रखने में सक्षम है तथा इसकी एंटी इन्फ्लेमेटरी या सूजन-रोधी विशेषता के कारण यह कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण रख सकता है । इसे ज्यादा मात्रा में लेना हानिकारक है ।

 

एलिसिन

एलिसिन । Allicin एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है जिसमें एंटी-माइक्रोबॉयल विशेषता पाई जाती है । एंटी-माइक्रोबॉयल एक विशेष गुण है जो की शरीर में आने वाले वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या प्रोटोजोआ की होने वाली वृद्धि को खत्म करता है और समाप्त करने का काम करता है । यह बैक्टीरिया, फंगस और वायरस से लड़ने में तथा उनके असर को कम करने में मददगार सिद्ध होता है । विशेष रूप से यह अदरक में पाया जाता है । इसमें एंटी-माइक्रोबॉयल की विशेषता के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट की भी विशेषता पाई जाती है । यह लो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में कारगर है । यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को सुधार करके रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का भी कार्य करता है ।

 

ग्लूकोसाइनोलेट्स

ग्लूकोसाइनोलेट्स Glucosinolates । यह ऐसा फाइटोन्यूट्रिएंट् का एक समूह है जो अपने कैंसर-विरोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं और माना जाता है कि वे कई प्रकार से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं । ये फाइटोन्यूट्रिएंट फूलगोभी, ब्रोकली, और केएल (Kale) जैसी क्रूसिफेरस सब्जियों परिवार की सब्जियों में उच्च मात्रा में पाया जाता है । ये । माना जाता है कि ग्लूकोसाइनोलेट्स शरीर से हानिकारक पदार्थों की सफाई का कार्य (Detoxify) करने में मदद करता है और कैंसर के खतरे को कम करने में भूमिका निभा सकता है। ऐसा माना जाता है कि इनमें सूजन-रोधी गुण होते हैं और ये हृदय जैसी पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करने में भूमिका निभा सकते हैं ।

 

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