न्यूट्रिशन की आवश्यकता क्यों ?
Why Nutrition is Required, in Hindi
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न्यूट्रिशन क्या है इसकी क्यों जरूरत है ?
या
इसकी कोई जरूरत नहीं है ?
कई लोगों का मानना है इसकी कोई जरूरत नहीं है ।
कई लोग तो ये यह सब बातें कहतें हैं …………..
“बढ़िया खाना खाओ, बढ़िया एक्सरसाइज करो, न्यूट्रिशन की कोई जरूरत नहीं ।”
“अच्छी नींद लो, बीमार हो तो डॉक्टर से दवाई ले लो । न्यूट्रिशन क्या है, न्यूट्रिशन की कोई जरूरत नहीं ।“
“ ये तो कई कंपनियां है जिन्होंने अपने सामान को बेचने के लिए फालतू का फंडा बना रखा है ।“
“हम बढ़िया खाते हैं, हम बढ़िया सोते हैं, बढ़िया दूध पीते हैं, बढ़िया नेचुरल फल खाते हैं, सब्जियां खाते हैं, हमें न्यूट्रिशन की आवश्यकता क्यों है ।“
आज के लोगों का यही मानना है । किसी से भी पूछ ले ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि न्यूट्रिशन बस, खाने में ही होता है और जैसे ही हम खाना खातें हैं, वो हमे मिल जाता है । इसके लिए अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं है तो फालतू में न्यूट्रिशन की आवश्यकता क्यों ।
क्या इस बात में आपको भी यही लगता है, कि इसमे कुछ सच्चाई है ?
तो आज हम आपको बताना चाहते हैं कि न्यूट्रिशन आखिर है क्या, क्यों है, और ये कहां से आता है तथा हमें न्यूट्रिशन की आवश्यकता क्यों है। इस वेबसाइट में आपको इसके बारे में अनेक पहलुओं पर कई प्रकार की जानकारी मिलेगी । तो बात करते हैं अपने शरीर के बारे में। हमारा शरीर कई तरह की कोशिकाओं (cell) को मिलकर बनाया गया है। हमारे शरीर की मूल आधार, कोशिका है। कई कोशिकाओं या cell को मिलाकर ऊतक या tissue बनते हैं । कई टिशू से मिल कर अंग या organs बनते हैं । और कई अंगों से एक पूरी body या शरीर बन जाता है । हमारे शरीर की बेसिक संरचना में अगर कोशिका के निर्माण में कोई प्रॉब्लम होती है तो उन्हें ठीक करने के लिए हमारा शरीर काम करता है ।
यदि शरीर की कोशिकाओं में कोई क्षति होती है तो शरीर को मिलने वाले भोजन से कुछ ऐसे तत्व हैं जो इसके निर्माण में और उसकी क्षतिपूर्ति में काम करते हैं । इन तत्वों को पोषक तत्वों या न्यूट्रिशन के तत्वों के नाम से जाना जाता है । जिसमें कई तरह के विटामिन, मिनरल, प्रोटीन, फाइटोन्यूट्रिएंट् और अन्य कारक आते हैं । आसान भाषा में शरीर को मिलने वाले भोजन के एक भाग से ताकत आती है और दूसरा भाग शरीर का पोषण करता है । इसका एक बहुत अच्छा उदाहरण है: –
हम सभी किसी न किसी ऑटोमोबाइल (कार, स्कूटर या बाइक) का इस्तेमाल करते हैं । इनमें एक जगह होती है जहां पेट्रोल या ईंधन भरा जाता है जिससे कि कार को शक्ति प्राप्त होती है और यह चलती है, और दूसरा एक ऐसी जगह होती है जहां पर इंजन ऑयल का इस्तेमाल होता है । अब यह इंजन ऑयल कार के इंजन की रक्षा करता है, उसको चलाने का काम करता है । कार सुचारू रूप से चलती रहे इसके लिए कार के इंजन को उचित लुब्रिकेशन देता है । यदि हम कुछ महीनो तक कार में सिर्फ पेट्रोल डालें और इंजन ऑयल ना डालें, तो जल्द ही उस कार का इंजन सीज या जाम हो जाएगा और कार हमेशा के लिए बेकार हो जाएगी । ठीक इसी प्रकार हमारे शरीर में भी न्यूट्रिशन की आवश्यकता है । हम भोजन से ताकत या एनर्जी तो प्राप्त करते हैं, लेकिन शरीर को यदि न्यूट्रिशन या पर्याप्त पोषण ना मिले तो कार के या बाइक के इंजन की तरह, एक न एक दिन हमारा शरीर रोगों से ग्रस्त होकर जाम हो जाएगा या नष्ट हो जाएगा । शरीर में न्यूट्रिशन की भी ठीक उसी प्रकार आवश्यकता है, जिस प्रकार कार में इंजन ऑयल की होती है ।
न्यूट्रिशन शरीर को कोई ताकत नहीं देता, यह शरीर को वह चीज देता है जो शरीर के लिए फायदेमंद है । यह, शरीर को कई प्रकार के रोगों से बचाता है, उसका पोषण करता है, शरीर की ग्रोथ या विकास में काम आता है । कई प्रकार से पोषण, शरीर के लिए फायदेमंद है । पर्याप्त पोषण न मिलने पर शरीर रोगों से ग्रसित हो जाता है और बीमार हो जाता है । न्यूट्रिशन कई फलों सब्जियों और विभिन्न प्रकार के भोजन से प्राप्त होता है । यदि हमें जानकारी है कि किस प्रकार के भोजन से कौन सा पोषण का तत्व प्राप्त होगा तो हम अपने शरीर को स्वस्थ, तंदुरुस्त, सेहतमंद और बीमारियों से दूर रख सकते हैं ।
आजकल आधुनिक जीवन में हम कई प्रकार का जो भोजन कर रहे हैं, और उसमें न्यूट्रीशन का बहुत बड़ी मात्रा में अभाव है । हम जो खाना खा रहे हैं वह फसलों या पौधों से प्राप्त होता है। इन फसलों को उगाने के लिए कितने ही प्रकार के फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल होता है । जिसके कारण फसल तो अच्छी हो जाती है, लेकिन उस फसल में फर्टिलाइजर और कीटनाशकों की अधिक मात्रा के कारण न्यूट्रिशन के स्तर में, गिरावट बहुत हद तक हो गई है । हर फसल में स्प्रे का इस्तेमाल किया जाता है । कई प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल करके फसल प्राप्त की जाती है, तो उसमें न्यूट्रिशन की मात्रा बहुत ही ज्यादा कम हो गई है । यहां तक की फलों को भी जल्दी प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के केमिकल्स का इस्तेमाल हो रहा है । एक तरह से देखा जाए तो हमारे चारों तरफ केमिकल से बनी हुई वस्तुएँ ही, हमें मिल रही है ।
इनमें न्यूट्रिशन की मात्रा 100% से कम होकर 30% से 40% ही रह गई है । और यही फल खाकर हम सोचते हैं कि हम नेचुरल खा रहे हैं, और हम खुश हो जाते हैं । हम दो संतरे खा लेते हैं, तो हम सोचते हैं कि हमने आज बहुत ज्यादा विटामिन ‘सी’ खा लिया और हमें ज्यादा विटामिन ‘सी’ खाने की क्या जरूरत है । जबकि यह वास्तविकता से बहुत दूर है । एक शरीर को जितना विटामिन सी चाहिए उसके लिए कम से कम मध्यम आकार के 12 संतरे खाने होंगे और यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उन प्रत्येक संतरे में विटामिन सी, की उतनी ही मात्रा हो, जितनी की होनी चाहिए । अर्थात हमारे शरीर को जितना पोषण मिलना था, उतना नहीं मिल रहा है।
न्यूट्रिशन की कितनी मात्रा होती है उसके लिए एक मानक की आवश्यकता होती है। भारत मे न्यूट्रिशन के मानक ICMR (इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च ) हैं । ICMR हमें बताता है कि किसी व्यक्ति, महिला और बच्चे के लिए न्यूट्रिशन के तत्वों की कितनी मात्रा या कितना RDA (Recommended Dietary Allowances) होना चाहिए । आजकल हम जो गेहूं की रोटी खाते हैं, तो यह सोचते हैं कि हमने उच्च क्वालिटी का गेहूं का आटा खरीदा है, जो किरयाने की बहुत बड़ी दुकान से हम लेकर आयें हैं । तो हमने उसकी रोटी खाकर अपनी कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को सही रूप में पूरा कर लिया । लेकिन क्या आप जानते हैं, उस गेहूं को उगाने के लिए यूरिया का इस्तेमाल हुआ है । वह यूरिया भी उस गेहूं में मिला हुआ है, तो आपकी किडनी कैसे स्वस्थ रहेगी या क्या आपको त्वचा संबंधी परेशानी नहीं होगी और आपके शरीर मे शुगर का स्तर क्यों नहीं बढ़ेगा । इसीलिए आज हमें न्यूट्रिशन के बारे में जानने के लिए, सजक होने की आवश्यकता है ।
आजकल बाजार में बिकने वाले कई प्रकार के खाद्य पदार्थों में, प्रिजर्वेटिव का बड़ी मात्रा में उपयोग हो रहा है और यह प्रिजर्वेटिव शरीर के लिए नुकसानदायक साबित होते हैं । इन उत्पादों को बनाने के लिए ज्यादातर कार्बोहाइड्रेट और शुगर का इस्तेमाल होता है और इनमें टेस्ट बड्स डाले जाते हैं । जिससे इनके स्वाद में बढ़ोतरी हो जाती है, लेकिन न्यूट्रिशन का सबसे बड़ा अभाव होता है । आज की युवा पीढ़ी इनको ज्यादा पसंद करती है, लेकिन जाने-अनजाने में वे न्यूट्रिशन से रहित चीजों को इस्तेमाल कर रहें है । दूसरा कि हम रेफ्रिजरेटर का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जिसमें कि खाना रखा जाता है, फिर उसको निकाल कर गर्म किया जाता है और इस्तेमाल करने के बाद यदि बच गया तो फिर दोबारा उसे रेफ्रिजरेटर में रख दिया जाता है । इस प्रकार के खाने में न्यूट्रिशन की मात्रा हर बार गर्म करने पर आधी रह जाती है, तो ज्यादातर घरों में यह प्रक्रिया भी चालू है । होटल में भोजन करना भी हम अपना फैशन समझते हैं। होटल वाले भी स्वाद बढ़ाने के लिए मसाले और अन्य चीजों का इस्तेमाल करते हैं, जिसके कारण हमें वह भोजन अच्छा तो लगता है लेकिन वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं है । यदि कोई व्यक्ति लगातार एक महीने तक होटल का ही खाना खाए तो यह निश्चित है कि वह बीमार हो जाएगा ।
अतः हमें यह जानने की जरूरत है कि हमें न्यूट्रिशन की आवश्यकता क्यों है, और अगर है तो यह कहां से हमें प्राप्त होगा ।
आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में दो वक्त का खाना सही ढंग से ही मिल जाए तो वह बड़ी बात है तो फिर न्यूट्रिशन और पोषण की किसको परवाह । किसी के पास समय नहीं है, न तो बच्चों के और न तो बड़ों के पास । हर कोई भागने में लगा हुआ है । किसी के पास टाइम नहीं है, अगर टाइम है तो, मोबाइल के लिए और फालतू की चर्चाओं के लिए । यह भी एक विशेष कारण है जिसके कारण हम अपने शरीर के साथ अन्याय कर भोजन पर गौर नहीं करते कि भोजन में हम क्या खा रहे हैं । और जो खा रहे हैं उसमें शरीर के लिए आवश्यक कुछ कारक हैं भी, या नहीं । हमें सिर्फ खाने से मतलब है बस कुछ भी खाना मिल जाए और पेट भर जाए । पेट तो भर जाएगा जनाब, लेकिन आपके शरीर को जो चाहिए पोषण, वह नहीं मिलेगा । दूसरा हमारी जीवनशैली में शराब, सिगरेट, मेंटल टेंशन या काम का स्ट्रेस तथा कई प्रकार की दवाईयां भी आ गई हैं । जिससे हमारा शरीर जल्द ही बूढ़ा हो जाएगा और यह सब कारक शरीर के लिए बेहद ही खतरनाक है । कई प्रकार के वेस्टर्न फूड, पिज़्ज़ा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक पता नहीं हम क्या-क्या हम खाते रहते हैं, लेकिन कभी भी यह जानने की परवाह नहीं करते कि उन सभी में हमारे शरीर के लिए उचित प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, फायटोन्यूट्रिएंट्स, प्रोबायोटिक्स, प्रीबायोटिक्स और फर्मेंटेड फूड्स इत्यादि हैं भी या नहीं । और यदि है भी तो कितनी मात्रा में ? क्या इस प्रकार का खाना हमारे शरीर की जरूरी आवश्यकताओं को पूरा कर भी पाएंगा ? बहुत सारे ऐसे सवाल है जिन पर हमें सोचने की जरूरत है ।
हमें जानने की जरूरत है कि हमें न्यूट्रिशन की आवश्यकता क्यों है।
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लेखक: राजेंद्र सिंह राठौड़
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