आर्टिकल 13: हमें भोजन की आवश्यकता क्यों पड़ती है
हम सभी जानते हैं कि भोजन एक उपभोग की चीज है । हम इसको उपभोग अपनी इच्छा के अनुसार एक दिन में कभी भी कर सकते हैं । हो सकता है दो दिन में एक बार करें, हो सकता है, ना करें । लेकिन इसकी एक निश्चित अवधि है कि, उस अवधि के बाद यह आपकी आवश्यकता बन जाती है।
दो दिन बाद ही हमें भोजन की आवश्यकता क्यों पड़ती है और इसे ग्रहण करना हमारे लिए नितांत आवश्यक क्यों हो जाता है । भोजन केवल आनंद या सांस्कृतिक परंपरा का स्रोत नहीं है, जिसे जब चाहा इस्तेमाल किया और जब नहीं चाहा तो अनंत काल के लिए छोड़ दिया ।
भोजन शरीर की आवश्यकता है और यह आवश्यकता पूर्ण होने पर भोजन शरीर का पोषण करता है । क्योंकि शरीर को पोषण की आवश्यकता है । यदि पोषण ना मिले तो शरीर का विनाश होना निश्चित है । भोजन हमारे शरीर का पोषण तो करता ही है और उसके साथ-साथ उसके सभी अंगों को सुचारू रूप से चलाता है, उसे शक्ति देता है, स्फूर्ति देता है, रोगों से बचाता है । वास्तव में भोजन, स्वयं जीवन का आधार है ।
भोजन के बगैर किसी भी जीव के अस्तित्व की कल्पना करना नामुमकिन है । यदि इस सृष्टि पर कोई जीव, जीवित है तो वह भोजन के कारण ही जीवित है यदि उसे भोजन मिलना बंद हो जाए तो उसका अंत सुनिश्चित है ।
आइए उन बहुआयामी कारणों पर विचार करें जिनके कारण मनुष्य सभी जीवित जीवों और हमें भोजन की आवश्यकता क्यों पड़ती है । इस आर्टिकल में जीवविज्ञान, विकास और आधुनिक विज्ञान का संयोजन किया गया है। हमने अत्यंत मेहनत करके और कई कारकों का अध्ययन करके 10 ऐसे तथ्य निकले हैं जिनके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि हमेशा हमें भोजन की आवश्यकता क्यों पड़ती है । आइये उन पर विचार करें:
1. जीवित रहने के लिए ऊर्जा: अर्थात शरीर के सभी कार्य करने वाले अंगों को शक्ति प्रदान करना
आपके शरीर की प्रत्येक कोशिका कार्य करने के लिए भोजन से मिलने वाली ऊर्जा पर निर्भर करती है। इस ऊर्जा को कैलोरी और शक्तियों में मापा जाता है। यह ऊर्जा प्रदान करने का कार्य ऊर्जा अणु या ए.टी.पी. या एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट करता है। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए आप इस दिये लिंक पर जा सकतें हैं ।
ऊर्जा अणु या ए.टी.पी. का एक सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है रिचार्जेबल बैटरी । जिस प्रकार बैटरी को रिचार्ज करने के लिए बाहर से एक चार्जर जोड़ना पड़ता है, और कुछ समय बाद वह बैटरी पूरी तरह से चार्ज हो जाती है । वास्तव में होता यह है कि इलेक्ट्रिक चार्जर द्वारा इलेक्ट्रॉन दिए जाते हैं और वह बैटरी के अंदर चार्ज को माइनस टर्मिनल से, प्लस टर्मिनल की ओर जाते हैं । ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर में भोजन ग्रहण करने पर ऊर्जा अणु पैदा होते हैं और ये कोशिकाओं में और शरीर के अन्य भागों में ऊर्जा को ले कर जाने का कार्य करते हैं ।
- ATP अर्थात एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट उत्पादन: भोजन (कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन) ग्लूकोज, फैटी एसिड और अमीनो एसिड में टूट जाता है। ये अणु चयापचय प्रक्रियाओं (जैसे, ग्लाइकोलाइसिस, क्रेब्स चक्र) से गुजरते हैं ताकि कोशिकाओं की ऊर्जा या ऊर्जा अणु या ए.टी.पी.(एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) का उत्पादन किया जा सके। ऊर्जा अणु या ए.टी.पी. के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप यदि चाहें तो हमारे लेख ऊर्जा अणु या ए.टी.पी. का अध्ययन कर सकतें हैं ।
- बेसल मेटाबोलिक रेट (BMR): आराम करने पर भी, आपका शरीर सांस लेने, परिसंचरण और मस्तिष्क गतिविधि (दैनिक ऊर्जा उपयोग का 60 से 75%) जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को बनाए रखने के लिए कैलोरी जलाता है। अपना बी.एम.आर. जानने के लिए हम इस दिये हुए फार्मूले का उपयोग कर सकते हैं:
- पुरुषों के लिए: बी.एम.आर. = (शरीर का भार (K.G.)x 10 ) + (6.25 x ऊंचाई C.M.) – (5 x आयु वर्षों में) + 5
- महिलाओं के लिए: बी.एम.आर. = (शरीर का भार (K.G.)x 10) + (6.25 x ऊंचाई C.M.) – (5 x आयु वर्षों में) – 161
शारीरिक गतिविधि: हमारे शरीर द्वारा की गयी गतिशीलता , व्यायाम और यहां तक कि बेचैनी के लिए भोजन से ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उदाहरण: आपका मस्तिष्क अकेले आपके दैनिक ऊर्जा सेवन का 20% खपत करता है, जो लगभग पूरी तरह से ग्लूकोज पर निर्भर करता है। यह सबसे महत्वपूर्ण कारण है जिसके आधार पर हम यह कह सकतें हैं की हमें भोजन की आवश्यकता क्यों पड़ती है ।
2. ऊतकों का निर्माण और मरम्मत और पोषक तत्वों की भूमिका
भोजन शरीर के पुनर्निर्माण, रखरखाव और मरम्मत के लिए आवश्यक सेल्स या कोशिकाओं का निर्माण करता है:
- प्रोटीन: आहार में प्रोटीन से अमीनो एसिड का उपयोग मांसपेशियों, एंजाइमों, हार्मोन और प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संश्लेषित करने के लिए किया जाता है। प्रोटीन के बिना, घाव ठीक नहीं होंगे, और मांसपेशियां कमजोर हो जाएगी और उनका लचीलापन तथा उनकी ताकत क्षीण हो जाएगी ।
- मिनेरल्स: भोजन में मौजूद मिनेरल्स या खनिज:, कैल्शियम और फास्फोरस हड्डियों को मजबूत करते हैं तथा आयरन ऑक्सीजन परिवहन के लिए हीमोग्लोबिन बनाता है।
- वसा: आवश्यक फैटी एसिड (जैसे, ओमेगा -3) कोशिका झिल्ली और मस्तिष्क ऊतक बनाते हैं।
विकास वादी अंतर्दृष्टि: मनुष्य पोषक तत्वों से युक्त भोजन या भोज्य पदार्थों को खाकर जिसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट, फैट, एसेंशियल फैटी एसिड्स इत्यादि की प्रचुरता है अत्यधिक विकसित और मजबूत हुआ है या हो जाता है । लेकिन ऐसा भोजन जिसमें न्यूट्रिएंट या पोषक तत्व है ही नहीं और ऐसे भोजन को खाकर मनुष्य कुपोषण का शिकार हो जाता है उसका विकास रुक जाता है और वह बीमारी की ओर अग्रसर हो जाता है ।
3. शारीरिक कार्यों को विनियमित करना और उत्प्रेरक के रूप में सूक्ष्म पोषक तत्व
भोजन में उपस्थित विटामिन और खनिज सह-एंजाइम और सह-कारक के रूप में कार्य करते हैं, जिससे जैविक एवं रासायनिक प्रतिक्रियाएँ संभव होती हैं:
- विटामिन सी: कोलेजन (त्वचा, रक्त वाहिकाएँ) को संश्लेषित करता है। इसकी कमी से स्कर्वी रोग होता है।
- विटामिन डी: हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम अवशोषण को नियंत्रित करता है।
- विटामिन बी: भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए महत्वपूर्ण है (जैसे, तंत्रिका कार्य के लिए बी12)।
- इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटेशियम): द्रव संतुलन और तंत्रिका संकेतन को बनाए रखते हैं।
इसी प्रकार और भी माइक्रो-न्यूट्रिएंट या सूक्ष्म उत्प्रेरक हैं जिन्हे हम विटामिन के रूप में जानते हैं, जो कि कई प्रकार की रासायनिक प्रक्रियाओं में शरीर में काम में आते हैं । भोजन में इन सब की अनुपस्थिति शरीर पर एक बुरा प्रभाव डाल सकती है । हालांकि इनकी मात्रा बहुत ही कम होती है लेकिन फिर भी वह मात्र शरीर के लिए नितांत आवश्यक है । इन सूक्ष्म पोषक तत्वों के बिना, प्रतिरक्षा, पाचन और अनुभूति जैसी अन्य प्रणालियाँ विफल हो जाएंगी। हमें यह जानने की जरूरत है कि हमें भोजन से मिलने वाले ये सूक्ष्म पोषक तत्व या न्यूट्रिशन की आवश्यकता क्यों है, इस बारे में जानने के लिए आप हमारा यह लेख पढ़ सकते हैं – न्यूट्रिशन की आवश्यकता क्यों ?
4. होमियोस्टेसिस एवं शरीर को संतुलित रखना
भोजन आंतरिक स्थिरता को विनियमित करने में मदद करता है:
- रक्त शर्करा: कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाते हैं, जो इंसुलिन और ग्लूकागन द्वारा नियंत्रित होते हैं। तथा इसके असंतुलन से मधुमेह रोग होता है।
- थर्मोरेग्यूलेशन: भोजन को पचाने से गर्मी (थर्मोजेनेसिस) उत्पन्न होती है, जो शरीर के तापमान को बनाए रखने में मदद करती है।
- पीएच संतुलन: पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज रक्त में एसिड को बेअसर करते हैं।
5. विकासवादी उत्तरजीविता तंत्र एवं ऊर्जा का भंडारण
मानव को भोजन से वसा भी प्राप्त होती है, जो अकाल के दौरान जीवित रहने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा को वसा के रूप में संग्रहीत करने की क्षमता के रूप में विकसित हुई है।:
- वसा ऊतक: वसा भंडार ऊर्जा भंडार के रूप में कार्य करते हैं और अंगों को इन्सुलेट करते हैं। इसी प्रकार के अन्य एसेंशियल फैटी एसिड् भी है जो की बहुत महत्वपूर्ण कार्य करते हैं जैसे कि ओमेगा 3 में मौजूद EPA और DHA जो कि मस्तिष्क की कोशिकाओं के लिए बहुत ही फायदेमंद है तथा कई न्यूरॉन्स पर इनका असर देखा गया है। मानसिक रोग से ग्रसित लोगों को यदि ओमेगा 3 दिया जाता है तो उन पर एक जादू प्रभाव देखा गया है।
- ग्लाइकोजन: ग्लाइकोजन यकृत और मांसपेशियों में संग्रहीत एक अल्पकालिक ग्लूकोज भंडार है। यकृत में यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है, जबकि मांसपेशियों में यह ऊर्जा आपूर्ति के लिए कार्य करता है। ऊर्जा की जरूरत पड़ने पर यह ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है।।
आधुनिक विरोधाभास: जबकि प्राचीन काल के मनुष्यों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ता था परंतु अब आधुनिक समाज में उच्च- कैलोरी वाले प्रोसेसेड़ खाद्य पदार्थों की बहुतायत मोटापे में योगदान देती है।
6. प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करना
भोजन में उपस्थित पोषक तत्व, सीधे प्रतिरक्षा तंत्र की कार्य-प्रणाली को प्रभावित करते हैं:
- जिंक: श्वेत रक्त कोशिका उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण।
- विटामिन ए: आँख तथा म्यूकोसल अवरोधों (जैसे, आंत की परत) की रक्षा करता है।
- एंटीऑक्सीडेंट: (विटामिन सी, ई): कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स या मुक्त कणों को बेअसर करते हैं।
- फाइटोन्यूट्रिएंट्: शरीर को जीवंत बनाने के लिए भोजन के साथ मिलने वाले फाइटोन्यूट्रिएंट् विभिन्न प्रकार से शरीर के अंगों और रोग प्रतिरोधक तंत्र की रक्षा करते हैं ।
क्या आप जानते हैं? प्रतिरक्षा प्रणाली का 70% हिस्सा आंत में रहता है, जो लाभकारी आंत बैक्टीरिया को पोषण देने के लिए फाइबर युक्त आहार पर निर्भर करता है। भोजन के अभाव में रोग प्रतिरोधक प्रणाली का कमजोर होना और जिसके कारण शरीर का अंत सुनिश्चित हो जाता है । यह दूसरा सबसे बड़ा महत्वपूर्ण कारण है कि हमें भोजन की आवश्यकता क्यों पड़ती है ।
7. मस्तिष्क का कार्य और मानसिक स्वास्थ्य
भोजन अनुभूति और मनोदशा को प्रभावित करता है:
- ग्लूकोज: मस्तिष्क का प्राथमिक ईंधन। कम रक्त शर्करा के कारण सोच में धुंधलापन होता है।
- ओमेगा-3: न्यूरॉन संरचना के लिए महत्वपूर्ण और अवसाद से जुड़ी सूजन को कम करता है।
- सेरोटोनिन उत्पादन: सेरोटोनिन (“अच्छा महसूस कराने वाला” न्यूरोट्रांसमीटर) का 95% हिस्सा आंत में बनता है, जो आहार से प्रभावित होता है।
8. वृद्धि और विकास
बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं की पोषण संबंधी ज़रूरतें बढ़ जाती हैं:
- प्रोटीन और कैल्शियम: हड्डियों और मांसपेशियों की वृद्धि के लिए।
- फोलेट: भ्रूण में न्यूरल ट्यूब दोष को रोकता है।
- आयरन: गर्भावस्था के दौरान रक्त की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है।
9. सामाजिक और मनोवैज्ञानिक भूमिकाएँ
जीव विज्ञान से परे, भोजन मानवीय ज़रूरतों को पूरा करता है:
- सांस्कृतिक पहचान: व्यंजन और भोजन परंपराओं को संरक्षित करते हैं।
- सामाजिक बंधन: साझा भोजन रिश्तों को मजबूत बनाता है (जैसे, पारिवारिक रात्रि भोज)।
- भावनात्मक आराम: सुखद भोजन खाने पर डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज़ होते हैं।
10. दीर्घायु और रोग की रोकथाम
संतुलित आहार पुरानी बीमारी के जोखिम को कम करता है:
फाइबर: कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और कोलन कैंसर को रोकता है।
फाइटोन्यूट्रिएंट् (पौधों में): सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव का मुकाबला करते हैं।
भूमध्यसागरीय आहार: हृदय रोग और अल्जाइमर के जोखिम को कम करने से जुड़ा हुआ है।
भोजन न करने के परिणाम
भुखमरी: शरीर पहले ग्लाइकोजन, फिर वसा और अंत में मांसपेशियों के प्रोटीन को जलाता है, जिससे अंग विफलता होती है।
सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी: सूक्ष्म पोषक तत्वों या न्यूट्रिशन शरीर को कुपोषण से ग्रस्त कर देता है जैसे
विटामिन सी: स्कर्वी (मसूड़ों से खून आना, थकान)
आयरन: एनीमिया (कमज़ोरी, सांस की तकलीफ)
आयोडीन: गण्डमाला और संज्ञानात्मक हानि
अतः हमें यह जानने की जरूरत है कि हमें भोजन से मिलने वाले न्यूट्रिशन की आवश्यकता क्यों है, इस बारे में विस्तार से जानने के लिए आप हमारा यह लेख पढ़ सकते हैं – न्यूट्रिशन की आवश्यकता क्यों ?
निष्कर्ष: भोजन जीवन की नींव है
इस आर्टिकल में दिए गए सभी 10 तथ्य यह दर्शाते और सिद्ध करते हैं कि किस प्रकार हम भोजन हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता है और यह सिद्ध करते हैं कि हमें भोजन की आवश्यकता क्यों पड़ती है । भोजन मानव शरीर के लिए अंतिम बिल्डिंग ब्लॉक और जैव रासायनिक नियामक है। खरबों सेलुलर प्रतिक्रियाओं को शक्ति देने से लेकर संस्कृतियों और भावनाओं को आकार देने तक, इसकी भूमिका उतनी ही गहन है जितनी कि यह पूर्ण करना असंभव है ।
यदि हम हिन्दू धर्म का प्राचीन समय का इतिहास या कथाएं उठा कर देखते हैं तो यह पाते हैं कि कई लोग जो आध्यात्मिकता से जुड़े थे वे भोजन को कई दिनों तक भी नहीं कर सकते थे । अर्थात वे कई दिनों के बाद भी भोजन कर सकते थे या किसी अन्य विकल्प का चयन कर शरीर का पोषण कर सकते थे ।
कई करोड़ लोगों में शायद ही कोई ऐसा आध्यात्मिक व्यक्ति होगा जो बिना भोजन के बहुत समय तक जीवित रह सकता हो । ऐसे व्यक्ति का इस संसार में मिलना अत्यंत दुर्लभ है जो भोजन के बगैर कई वर्षों तक जीवित रहे । हो सकता है ऐसा कोई व्यक्ति हो भी, तो उसका भोजन का जो भी विकल्प उसने चुना है वह निश्चित रूप से उसके शरीर का पोषण करेगा ।
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