फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में हिन्दी मे जानकारी
Information About Phytonutrient in Hindi
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फाइटोन्यूट्रिएंट् प्राकृतिक यौगिक हैं जो पौधों में पाए जाते हैं जोकि उनकी उनकी वृद्धि, विकास और अस्तित्व के लिए जिम्मेदार नहीं हैं परंतु ये उनको विभिन्न प्रकार के पर्यावरण के नुकसान पहुँचने वाले घटकों से बचातें हैं। पर्यावरण से होने वाले नुकसान जैसे कि अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन और विभिन्न प्रकार के कीट। मोटे तौर पर यदि कहा जाए तो यह एक प्रकार के पौधों के इम्यून सिस्टम के तत्व हैं जो कि पौधे को बचाने का कार्य करते हैं इन यौगिकों को फाइटोकेमिकल्स के रूप में भी जाना जाता है और ये जीवंत रंगों, स्वादों और सुगंधों के लिए ज़िम्मेदार हैं जो कई फलों और सब्जियों की विशेषता हैं। ऐसा माना जाता है कि फाइटोन्यूट्रिएंट् मनुष्यों को कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करना शामिल है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में गहराई से पता लगाएंगे। हम चर्चा करेंगे कि फाइटोन्यूट्रिएंट् क्या हैं, उनके विभिन्न प्रकार कौन से हैं और उनके सेवन से जुड़े स्वास्थ्य लाभ क्या हैं।
फाइटोन्यूट्रिएंट् क्या हैं?
फाइटोन्यूट्रिएंट् प्राकृतिक यौगिक हैं जो पौधों में पाए जाते हैं। वे पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक नहीं हैं, लेकिन वे पौधों को यूवी विकिरण, कीट और बीमारी जैसे पर्यावरणीय तनावों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। फाइटोन्यूट्रिएंट् उन रंगों, स्वादों और सुगंधों के लिए भी ज़िम्मेदार हैं जो कई फलों और सब्जियों की विशेषता हैं।
वैसे तो फाइटोन्यूट्रिएंट् हजारों प्रकार के होते हैं, इनकी संख्या इतनी ज्यादा है कि इस लेख में सब के बारे में बताना असंभव है । फाइटोन्यूट्रिएंट् मुख्यतः पौधों में पाए जाते हैं और यह पौधों के वह तत्व है, जो कि पौधे को जीवंत बनाने के लिए उत्तरदाई होते हैं । इसका बहुत अच्छा एक उदाहरण है। यदि आपको धूप में खड़ा कर दिया जाए तो आप कितने समय तक खड़े रहेंगे एक घंटा, दो घंटा, तीन घंटा बहुत ज्यादा हुआ 4 घंटे । इसके बाद आपका शरीर छीण होना शुरू हो जाएगा क्योंकि आपके शरीर के सभी मिनरल और जरूरी पोषक तत्व पसीने के रूप में बाहर निकलने शुरू हो जाएंगे, आपको प्यास लगेगी और आप कमजोर महसूस करना शुरू कर देंगे ।
ठीक इसी प्रकार का अनुभव पौधों में भी होता है । वह अपनी जगह पर खड़े रहते हैं, वे ना तो वह कहीं जा सकते ना हीं सूर्य की गर्मी से छुप सकते हैं । पौधों में इन फाइटोन्यूट्रिएंट् के कारण हो वो शक्ति आती है जिसके कारण वह धूप में भी घंटों खड़े रहते हैं। यह फाइटोन्यूट्रिएंट् उनको जीवित बनाने में एक वाइटल तत्व के रूप में काम करते हैं । उनके कई प्रकार के कामों में यह मदद करते हैं । फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में यदि कहा जाए तो इनकी संख्या हजारों में हो सकती हैं लेकिन उनमें से कुछ फाइटोन्यूट्रिएंट् है, जो कि मनुष्य के शरीर के लिए आवश्यक तथा वही फायदा करतें हैं जैसा कि वे पौधों को फायदा करते हैं। फाइटोन्यूट्रिएंट् में कुछ ऐसे भी, फाइटोन्यूट्रिएंट् हैं जो कि, एंटीऑक्सीडेंट का भी काम करते हैं । ये फाइटोन्यूट्रिएंट् शरीर में एक एंटीऑक्सीडेंट की भी भूमिका निभातें हैं । फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में जानने के लिए आप हमारा दूसरा लेख जो कि विस्तार से फाइटोन्यूट्रिएंट के प्रकार के बारे में बताता है, उसे पढ़ सकते हैं एंटीऑक्सीडेंट शरीर को विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाने में मदद करता है तथा शरीर को निरोगी बनाने में और हमारे इम्यून सिस्टम अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है ।
वैसे तो हजारों अलग-अलग फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में पहचान की गई है, और उन्हें उनकी रासायनिक संरचना के आधार पर कई अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है। कुछ सबसे सामान्य प्रकार के फाइटोन्यूट्रिएंट् इस प्रकार हैं:-
कैरोटीनॉयड
फ्लेवोनोइड
फेनोलिक एसिड
लाइकोपिन
पोलीफिनोल
सैपोनिन
लिग्नान
आइसोफ्लेवोन
एलिसिन
टैनिन
और ग्लूकोसाइनोलेट्स शामिल हैं। यहाँ पर हम केवल दो ऐसे फाइटोन्यूट्रिएंट्स के बारे में बता रहे हैं जो की एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी काम करते हैं उनमें से एक है, बीटा-कैरोटीन और दूसरा लाइकोपिन। ये केराटिनॉयड्स के अंतर्गत आतें हैं ।
केराटिनॉयड्स यह एक विशाल समूह है जिसके अंतर्गत बहुत सारे फाइटोन्यूट्रिएंट् और एंटीऑक्सीडेंट आते हैं। केराटिनॉयड्स की कम मात्रा शरीर को मिलती है, या नहीं मिलती तो, दृष्टि संबंधी और त्वचा संबंधी रोगों में बढ़ावा हो जाता है। इसका सेवन इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है तथा क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को रिपेयर करने का काम करता है । कई तरह के केराटिनॉयड्स और फाइटोकेमिकल से युक्त भोजन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है तथा स्वास्थ्य समस्याओं की आशंका को कम कर सकता है । हमारे शरीर में आए फ्री रेडिकल्स की क्षति को जो की वायु प्रदूषण अल्ट्रावायलेट किरणों तथा धुएं और अन्य केमिकल के कारण आती है उनको उनसे हुई क्षति के से शरीर की रक्षा करता है । कई अनुसंधानकर्ता तथा वैज्ञानिक मानते हैं कि केराटिनॉयड्स यदि प्राकृतिक रूप में शरीर को दिए जाएं तो वह अत्यधिक फायदा करते हैं यह मुख्यतः फलों और सब्जियों में पाए जाते हैं । उदाहरण के तौर पर बहुत सारे केराटिनॉयड्स हैं जिनमें से एक है-
बीटा-कैरोटीन । हालांकि यह भी एक फाइटोन्यूट्रिएंट है लेकिन यह एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है । यह टमाटर, गाजर, कद्दू में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि बीटा-कैरोटीन करता क्या है । बीटा-कैरोटीन वह तत्व है जो कि शरीर में जब जाता है तो शरीर इसको विटामिन-ए में बदल देता है और यह आंखों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। आंखों की आंतरिक किसी भी प्रकार की क्षति या रेटिना की मरम्मत के लिए यह काम में आता है । बीटा-कैरोटीन न केवल आंखों की रक्षा करता है अपितु यह हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यून सिस्टम और त्वचा की अच्छी हेल्थ के लिए भी लाभदायक है । कैरोटीन मुख्यता पीली, हरी और नारंगी रंग की सब्जियों या फलों में से प्राप्त होते हैं । तो हम बात कर रहे थे बीटा-कैरोटीन विटामिन ए की उच्चतम मात्रा को प्रदान करता है । कैरोटीन पूर्ण रूप से हाइड्रोकार्बन है, जो की फ्री रेडिकल्स या मुक्त कण के ऑक्सीजन अणु के इलेक्ट्रॉन की कमी को पूरा करके उसको निष्क्रिय कर देते हैं । बीटा-कैरोटीन के समान ही एक और फाइटोन्यूट्रिएंट है जिसका की नाम है-
लाइकोपिन : यह फलों या सब्जियों में उनके रंग के लिए जिम्मेदार है । अर्थात, उदाहरण के तौर पर यह टमाटर, गुलाबी अंगूर, तरबूज और और लाल रंग के फलों तथा सब्जियों में पाया जाता है । फलों तथा सब्जियों का लाल रंग लाइकोपिन के कारण होता है । लाइकोपिन भी एक शक्तिशाली फाइटोन्यूट्रिएंट है जो कि एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है यह आंखों की रेटिना को मरम्मत करने का काम करता है तथा प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम में भी मददगार है और हमारे हृदय को भी फायदा करता है और उसे फ्री रेडिकल के आक्रमण से बचाता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह लाइकोपिन मिलता कहां से है और इसे कैसे प्राप्त किया जाए तो यह मुख्यतः टमाटर में पाया जाता है । टमाटर का लाल रंग लाइकोपिन के कारण ही होता है यह एक जबरदस्त और शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो कि शरीर की कई तरह से मदद करता है और कई प्रकार के वाइटल अंगों को बचाने का काम करता है । यह दोनों श्रेणियां में आता है मतलब कि यह फाइटोन्यूट्रिएंट् भी है और एंटीऑक्सीडेंट का भी काम करता है ।
फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में लोगों के कई प्रकार के भ्रम है, जिनके बारे में हम बात करना चाहते हैं:
कई लोग का मानना है कि फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में, यदि इन्हे ज्यादा मात्रा में लिया जाए तो हमारे लिए हमेशा फायदा ही होगा ?
इसका सत्य यह है कि इन्हें एक निश्चित मात्रा में लेना चाहिए । ज्यादा मात्रा में लेने से यह नुकसान करते हैं । जिस प्रकार से उदाहरण के तौर पर बीटा-कैरोटीन की अधिक मात्रा लेने पर धूम्र-पान करने वाले व्यक्तियों के फेफड़े को यह नुकसान पहुंचा सकता है।
फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में यह भ्रम भी है कि यदि इसे लिया जाए तो दवाइयां की जरूरत नहीं होती ?
सत्य यह है कि फाइटोन्यूट्रिएंट् कोई दवाई नहीं है। किसी भी बीमारी के लिए दवाई की जगह कोई नहीं ले सकता। यदि दवाई लेनी जरूरी है तो उसे हमेशा लेना चाहिए। यह फाइटोन्यूट्रिएंट्स आपके हेल्थ तो अच्छा करता है और उसे बीमारी से रोगमुक्त होने में या रिकवर होने में मदद करता है और उसे बीमारी के बढ़ने के अवसरों या खतरे को कम कर देता है। फाइटोन्यूट्रिएंट्स का कार्य बीमारी बचाव या रोक लगाना है। यह एक प्रिवेंशन है हेल्थ के लिए ना कि किसी का सब्सीट्यूट। फाइटोन्यूट्रिएंट्स किसी दवाई का सब्सीट्यूट/ विकल्प नहीं हैं।
कई लोगों का फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में यह विचार है कि भड़कीले और तेज रंग वाले फलों और सब्जियों में ही फाइटोन्यूट्रिएंट् पाए जाते हैं ?
काफी हद तक यह सत्य है कि, भड़कीले या तेज रंगों वाले फलों और सब्जियों में फाइटोन्यूट्रिएंट् पाए जाते हैं परन्तु यह पूरी तरह से सच नहीं है । क्योंकि कई, कम रंग वाले सब्जियों में भी फाइटोन्यूट्रिएंट् मौजूद हैं ,जैसे कि लहसुन और पालक। लहसुन से हमें एलीसिन नाम का फाइटोन्यूट्रिएंट् प्राप्त होता है कि जो हृदय की लिए बहुत ही जादा फायदेमंद है।
फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में लोगों का यह सबसे बड़ा तगड़ा भ्रम है कि यदि हम फाइटोन्यूट्रिएंट् के सप्लीमेंट खा लें, तो हमें पौधे से प्राप्त होने वाले फलों या सब्जियों को खाने की जरूरत नहीं है ?
सत्य यह है कि हमें फाइटोन्यूट्रिएंट् लेने के लिए बाजार से कोई भी सप्लीमेंट उठाकर या केमिस्ट की दुकान से कोई भी सप्लीमेंट उठाकर खाना शुरू नहीं कर देना चाहिए । इसके लिए हम उचित न्यूट्रिशन एक्सपर्ट या हेल्थ एडवाइजर की जरूरत होती है । वह हमें समझाएगा कि किसकी कितनी मात्रा लेनी है और कब तक लेनी है । दूसरी बात यह है कि यदि हम फल और सब्जियां खाएंगे तो वह प्राकृतिक रूप से ही हमें वही फाइटोन्यूट्रिएंट् प्रदान करेगी जो कि सही तरीका है। हाँ यह बात है कि फाइटोन्यूट्रिएंट् की प्रतिशतता उस फल या सब्जी में कम हो जाए। ये कमी का कारण पौधे पर कैमीकल का प्रयोग या उर्वरकों के प्रयोग हो सकती है । हो सकता है कि आपको 100% की जगह 30% या 40% ही फाइटोन्यूट्रिएंट् किसी फल या सब्जी से प्राप्त हो । और यदि हम सप्लीमेंट लेना भी चाहते हैं तो हमें यह पूर्ण रूप से सुनिश्चित करना होगा कि वह सप्लीमेंट पूर्णतया पौधों से ही प्राप्त किया गया है और पौधों को उगाने के लिए किसी भी केमिकल या किसी भी प्रकार के उर्वरक का उपयोग नहीं किया गया है अर्थात वह जैविक खेती से ही प्राप्त हुआ हो । तभी उस पौधे के फल, या पत्तों में संपूर्ण पोषण तत्व मौजूद होंगे, और उन पोषण तत्वों के बने सप्लीमेंट को न्यूट्रिशन एक्सपर्ट की सलाह लेकर हम ले सकते हैं ।
किसी भी फाइटोन्यूट्रिएंट् हमें कितनी मात्रा हर रोज लेनी है, इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए, यदि आप चाहें तो वेबसाइट के संस्थापक को निजी तौर पे ई-मेल कर के संपर्क कर सकतें हैं nutritionkguru@gmail.com
फाइटोन्यूट्रिएंट् के बारे में हजारों प्रकार के शोध हो चुके हैं । इन शोधों से ज्ञात हुआ है कि फाइटोन्यूट्रिएंट् मनुष्य के लिए अत्यंत लाभदायक हैं। इन्होंने कई प्रकार की बीमारियों में मदद करके, दवाइयों से ना ठीक हो रहे व्यक्तियों या रोगियों को भी ठीक किया है इनके परिणाम आश्चर्यजनक तथा चौंकाने वाले हैं ।
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